भारतीय वायुसेना ने अपनी शक्ति को और अधिक मजबूत करने के लिये चलाये जा रहे युद्धाभ्यास ‘गगनशक्ति’ के तहत सुदूर उत्तरपूर्व में अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में अपने सुखोई 30 लड़ाकू विमान को उतारा। पर्वतों से घिरे इस क्षेत्र में विमानों को उतारना बहुत कठिन है किंतु पूर्वोत्तर भारत में सैनिकों की तैनाती व उनके उपयोग की वस्तुओं को पहुंचाने के लिये यह एक अहम स्थान है। अभ्यास के लिये इस क्षेत्र में वायुसेना ने अपने सबसे बड़े परिवहन विमान C-17 ग्लोबमास्टर को भी इस क्षेत्र में उतारा, तथा प्रत्येक स्थिति और मौसम में लक्ष्य पर निशाना लगाने की अपनी क्षमता को भी परखा। इस मौके पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी उपस्थित रही।
इस अभ्यास में पाकिस्तान और चीन दोनो के साथ युद्ध की स्थिति आने पर देश की तैयारियों को परखा जा रहा है, यह अभ्यास 15 दिन तक जारी रहेगा, इस के दौरान देश के पश्चिमी सीमा पर 72 घंटों के दौरान वायुसेना ने 5,000 उड़ान भरी हैं, और सुखोई विमान के साथ साथ MI-17 हेलिकॉप्टर ने असम के डीएम रेंज में हवा से जमीन पर मिसाइल फॉयर किये और बम गिराये।
10 अप्रैल से शुरु हुआ यह युद्धाभ्यास 23 अप्रैल तक चलेगा। स्वदेश निर्मित तेजस लड़ाकू विमान ने भी पहली बार इस प्रकार के अभ्यास में हिस्सा लिया और अपनी मिसाइलों से उन लक्ष्यों को बेधा जो आंखों से नही दिखाई दे रहे थे। वायुसेना अध्यक्ष बीरेंद्र सिंह धनोआ ने जानकारी दी कि गगनशक्ति युद्धाभ्यास में 160 से ज्यादा सुखोई 30, और 8 तेजस विमानों सहित 550 एयरक्राफ्ट्स को उपयोग किया गया है।
देश में चीन और पाकिस्तान की ओर से बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर और पश्चिमी सीमा पर यह अभ्यास कर सेना अपने संसाधनों की उपयोगिता भी सुनिश्चित करेगी, साथ ही इस प्रकार के युद्धाभ्यास से अपनी तैयारियों को परख कर मनोबल भी बढ़ेगा और विपरीत स्थितियां आने पर उसका सामना करने का अभ्यास पहले से ही होने पर तात्कालिक प्रतिरोध भी सुनिश्चित होगा।