चीन का काल बने बलोच विद्रोही


पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में स्थित बलूचिस्तान में पिछले वर्ष दिसंबर में हुए घातक हमले में पाकिस्तानी सेना के 7 जवान मारे गए। यह सभी जवान चीन और पाकिस्तान के बीच हुए आर्थिक समझौतों के अनुसार बनाए जा रहे चीन के निवेश वाली सीपीईसी परियोजनाओं की सुरक्षा का कार्य कर रहे थे।

PAKISTAN CHINA UNREST
  • बलूच विद्रोहियों के निशाने पर चीनी परियोजनायें
  • लगातार हमलों से परेशान चीन
  • पाकिस्तान से स्वतंत्रता चाहते हैं बलोच विद्रोही

इस हमले से चीन का बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और फ्री ट्रेड जोन में लगाया गया अरबों डॉलर का निवेश संकट में आ गया है। उधर पाकिस्तानी सेना भी बलूच स्वतंत्रता सेनानियों का कोई भी तोड़ नहीं ढूंढ पा रही है। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान प्रांत पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और यहां की जनसंख्या पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 9% है।

दशकों से सक्रिय हैं बलोच विद्रोही

पिछले कई दशकों से बलूच विद्रोही बलूचिस्तान में सक्रिय हैं, और पाकिस्तान से स्वतंत्रता चाहते हैं। पाकिस्तान के अन्य प्रांतों के साथ उनका विरोध रहा है, और पाकिस्तान के सत्ता के साथ भी वह लगातार संघर्ष कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के अधिकारियों द्वारा चीन को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार से कई कदम उठाए गए जिनसे बलूच लोगों का दमन किया जा सके।

इन कदमों से बलूचिस्तान में हिंसा का एक नया दौर शुरू हुआ जिससे सीपीसी को लेकर चीन का विश्वास कमजोर होता जा रहा है। हालांकि पूर्व पुलिस अधिकारी और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक अथॉरिटी के अधिकारी तारीक परवेज यह कहते रहे हैं बलूच लोगों के हमले में काफी कमी आई है, लेकिन ऐसा होता कम ही दिख रहा है। बलोच विद्रोही अब नई रणनीति अपना रहे हैं, और अब उन्होंने चीनी लोगों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पहले वह आत्मघाती हमले नहीं करते थे लेकिन अब वह ऐसा करने के साथ ही लोगों को बंधक भी बना रहे हैं।

चीन के लोगों पर भी हुए हैं हमले

बलूचिस्तान के विद्रोहियों में यह बदलाव वर्ष 2018 में कराची में हुए चीनी वाणिज्य दूतावास, और 2019 में ग्वादर के पर्ल होटल पर हुए हमले में स्पष्ट दिखाई दिया। यह होटल चीन ने बनाया है और साधारणतया चीनी नागरिक इसी होटल में ठहरते है। माना जाता है की बलूच विद्रोहियों के निशाने पर चीन के वित्तीय और व्यावसायिक हित शामिल है, इसलिए बलूच विद्रोही अफगानिस्तान में अपने ठिकानों का इस्तेमाल बलूचिस्तान में चीन द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं पर हमले के लिए करते हैं।

इन सबके बीच में पाकिस्तान की आर्थिक राजनैतिक और सामरिक तीनों प्रकार की शक्ति कमजोर होती जा रही है। ना वह आतंकवाद को पोषण देने वाले अपने आतंकी समूहों पर लगाम लगा पाया है, ना ही वह अपनी आर्थिक स्थिति को ठीक कर पा रहा है, और साथ ही चीन के द्वारा लिए जा रहे ऋण के कारण उसकी आर्थिक प्रगति भी प्रभावित हो रही है। कमजोर होते पाकिस्तान के अंदर महंगाई अपने चरम पर है। ऐसे में बलूचिस्तान के विद्रोही, सत्ता पर हावी होता सेना और आईएसआई का गठजोड़, विदेशों से बढ़ता जाते ऋण के बोझ से पाकिस्तान को निरंतर कमजोर होता जा रहा है।


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