स्वास्थ्य के लिये हानिकारक डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को अब प्राकृतिक या शुद्ध नही कहा जा सकेगा।


स्वास्थ्य के लिये हानिकारक डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को अब प्राकृतिक या शुद्ध नही कहा जा सकेगा, फूड एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक नोटिफिकेशन जारी करने जा रहा है जिसके अनुसार डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर प्राकृतिक (Natural), ताजा (Fresh), शुद्ध (Pure), असली (Genuine or Real) तभी लिखेंगी जब उन्हें धोने, छीलने, ठंडा करने या छंटाई करने के अतिरिक्त किसी और तरीके की प्रक्रिया द्वारा नही बनाया गया है, जिससे उसकी मौलिक विशेषतायें बदल जाती हों। कंपनियों को यह बात स्पष्ट रूप से लिखनी होगी कि यह उनके ब्रैंड के नाम या ट्रेडमार्क का हिस्सा है और इसका उत्पाद से कोई लेना देना नही है। उदाहरण के तौर पर Real कंपनी के जूस के ब्रैंड का नाम Real है, इसका जूस से कोई लेना देना नही है।
डिब्बा बंद कंपनी अपने उत्पाद को भोजन के रिप्लेसमेंट की तरह नही दिखा सकती हैं। कंपनी अपने विज्ञापनों में पौष्टिकता और स्वास्थ्य संबंधी दावों में क्या क्या कह सकती है, इसको भी रेग्युलेशन में बताया गया है। सरकार का यह कदम देश में डिब्बाबंद भोजन की कंपनियों के भ्रामक दावों, और उसके कारण लोगों को होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाने में कारगर होगा।

भारत में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का चलन पिछले कुछ वर्षों से बढा है, देश में भरपूर अनाज और फल पैदावार होने के बाद भी भ्रामक प्रचार और दावों के कारण समाज में प्राकृतिक शुद्ध भोजन करने के स्थान पर डिब्बाबंद भोजन को वरीयता दिये जाने से समस्यायें खड़ी हो रही हैं। कंपनीयां अपने उत्पादों को भोजन के रिप्लेसमेंट की तरह दिखाने लगी हैं, जिससे लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है। नये रेग्युलेशन के अनुसार जो कंपनियां भ्रामक दावों या विज्ञापनों द्वारा उपभोक्ताओं को प्रभावित करने का प्रयास करेंगी, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई और सजा का प्रावधान है।


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