सरोगेसी बिलः किराये पर गर्भ देने के व्यवसायिक उपयोग पर लगाम, 10 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया।


लोकसभा ने किराये पर गर्भ देने से संबंधित सरोगेसी विधेयक, 2016 को पारित कर दिया है। इस विधेयक के द्वारा अब सरोगेसी व्यवसायिक ना होकर परोपकार का एक साधन होगी। इन प्रावधानों में उल्लंघन करने पर कठोर सजा का नियम भी रखा गया है। कोई भी महिला अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार किसी अन्य के लिये संतान को अपने गर्भ में पाल सकेगी।

इस व्यवस्था से बिना शादी किये माता या पिता बनने की इच्छा रखने वाले लोगों पर भी लगाम लगेगी, क्योंकि इस विधेयक के अनुसार केवल शादीशुदा दंपत्ति ही सरोगेसी की सहायता ले सकते हैं। नये विधेयक में बिना विवाह किये साथ में रहने वाले युगल, होमोसेक्सुअल, तथा अविवाहितों के लिये सरोगेसी की अनुमति नही दी गयी है। जो महिला अपने गर्भ में दूसरों की संतान को पालना चाहे, उसकी आयु 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिये तथा साथ ही उसका स्वयं का भी कोई पुत्र/पुत्री होना अनिवार्य है।

माँ बनने वाली महिला को दंपत्ति के नजदीकी रिश्तेदार होना आवश्यक है, और यह व्यवसायिक ना होकर पूरी तरह परोपकार की दृष्टि से होना चाहिये। जिस दंपत्ति की सहायता की जा रही हो वह माँ बनने वाली महिला के मेडिकल खर्च और इंश्योरेंस कवर का ही भुगतान करेंगे, इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई भुगतान नही किया जायेगा।

अपनी संतान उत्पन्न करने के लिये दूसरी महिला के गर्भ का उपयोग तभी किया सकेगा जब दंपत्ति में से एक या दोनो माँ या पिता बनने में सक्षम नही हो, या अन्य किसी भी कारण से उनके बच्चे ना हों, अपवाद के रूप में ऐसे युगल हो सकते हैं जिनका बच्चा किसी मानसिक या शारीरिक कमी अथवा गंभीर बीमारी से ग्रसित हो।

विधेयक के अनुसार नियमों को तोड़ने पर कठोर सजा का प्रावधान है, नियम के विरुद्ध जाने पर दंपत्ति या फिर माँ बनने वाली महिला को कम से कम 5 वर्ष से 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है, साथ ही इसमे 5 लाख से 10 लाख तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है, इसी प्रकार यदि कोई मेडिकल प्रोफेशनल इन नियमों को तोड़ता है तो उसे भी कम से कम 5 वर्ष की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना देना होगा।

इस विधेयक से बिना विवाह किये माँ या पिता बनने की चाह रखने वाले लोगों पर लगाम लगेगी, साथ ही विदेशों से भारत में गर्भ को किराये पर लेने वाले लोगों पर भी रोक लगेगी।


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