भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत दो स्पैडेक्स उपग्रहों को दूसरी बार सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में डॉक करने में सफलता हासिल की है। यह उपलब्धि इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भविष्य में इस तकनीक को और बेहतर बनाने में मदद करेगी। इस सफलता की घोषणा केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने की है।
इसरो की टीम ने कहा ये था ‘बच्चों का खेल’
इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया कि यह डॉकिंग ऑपरेशन बेहद सुचारू रूप से हुआ और उनकी टीम ने इसे जैसे “बच्चों का खेल” कहा। इस मिशन के तहत दो छोटे उपग्रह, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट), जो लगभग 220 किलोग्राम वजन के हैं, को 30 दिसंबर 2024 को PSLV-C60 रॉकेट द्वारा कक्षा में स्थापित किया गया था। पहली बार ये उपग्रह 16 जनवरी 2025 को सफलतापूर्वक डॉक हुए थे और 13 मार्च 2025 को सफलतापूर्वक अलग हुए थे।
दूसरी बार की गई डॉकिंग 20 अप्रैल 2025 की शाम 7 बजे के बाद की गई, और इसे पहली बार की तुलना में और भी अधिक सटीकता के साथ संपन्न किया गया। इसरो ने इस तकनीक को ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ के नाम से विकसित किया है, जिसमें डॉकिंग मैकेनिज्म, रेंडेज़वस और डॉकिंग सेंसर, पावर ट्रांसफर, इंटर-सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक और एक अनूठी स्वायत्त डॉकिंग रणनीति शामिल है।
यह तकनीक भारत के भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों जैसे कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station), चंद्रयान-4, मानव मिशन गगनयान और चंद्रमा पर मानव भेजने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसरो ने बताया है कि अगले दो सप्ताह में इस मिशन से संबंधित और प्रयोग किए जाएंगे, जो इस तकनीक को और परिष्कृत करेंगे।
भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में हुआ शामिल
इसरो इस उपलब्धि के साथ दुनिया के उन चार देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने अंतरिक्ष में उपग्रह डॉकिंग तकनीक में सफलता हासिल की है, जिनमें अमेरिका, रूस, और चीन शामिल हैं। इस सफलता से भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और यह देश के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
संक्षेप में, इसरो की स्पैडेक्स मिशन की दूसरी सफल डॉकिंग ने भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बार फिर वैश्विक पटल पर मजबूती से स्थापित किया है और भविष्य के जटिल अंतरिक्ष अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है।