इस्लामिक शिक्षा संस्थान देवबंद के दारुल उलूम ने मुस्लिम शादियों में दुल्हन की मुँह दिखाई, हंसी मजाक, और दूल्हे के जूता चुराने जैसी रस्मों के विरुद्ध फतवा निकाला है, तथा इसे गैर इस्लामिक कह कर मुस्लिमों को इन परंपराओं को ना करने को कहा है।
देवबंद क्षेत्र के एक व्यक्ति ने दारूल उलूम से यह प्रश्न किया था कि क्या शादी के अवसर पर दूल्हे का दुल्हन के घर जाना, दुल्हन के ससुराल आने पर उसकी मुँह दिखाई, दूल्हे के जूते चुराने की परंपराओं के लिये शरीयत क्या कहती है? इसके उत्तर में दारूल उलूम के फतवा विभाग ने कहा कि यह ठीक नही है, क्योंकि ऐसे में दुल्हन पर रिश्तेदारों की नजर पड़ती है तथा आपस में हंसी मजाक किया जाता है। इन सभी परंपराओं को गैर इस्लामिक कहते हुए दारूल उलूम ने कहा कि यह इस्लाम के अनुसार गलत है, तथा इस तरह की परंपराओं से दूरी बनाई जानी चाहिये।
भारत में इस्लाम का प्रवेश आक्रमणकारियों द्वारा किया गया था जिन्होंने यहां के निवासियों को बलपूर्वक इस्लाम में बदला, ऐसे में बलपूर्वक मुस्लिम बन जाने के बाद भी यहाँ के मुस्लिमों में मूल रूप से भारत में सदियों से चली आ रही परंपराओं को नही छोड़ा तथा आज भी वह परंपरायें मुस्लिमों में प्रचलित हैं। जूता चोरी करना, मुँह दिखाई, आपस में हंसी मजाक यह सभी परंपरायें इस्लाम से पहले भारतीय परिवेश में चली आ रही हैं। सऊदी तथा खाड़ी देशों में जो इस्लाम प्रचलित है, उसमे इस प्रकार की परंपरायें नही हैं। यह विशुद्ध रूप से इस्लाम पर भारतीय संस्कृति और परिवेश का प्रभाव है जो मुस्लिम होने के बाद भी वह अपनी परंपराओं को नही छोड़ सके।
इस प्रकार के फतवों से यह आशंका होती है कि भारतीय इस्लाम का सऊदी के इस्लाम में परिवर्तन किया जा रहा है, तथा यह उस इस्लाम को वरीयता देने का कार्य कर रहे हैं जो शरीया कानूनों का पालन करता है तथा किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता की अनुमति नही देता है। इस प्रकार के फतवे भारतीय संस्कृति और परंपरा की उस कड़ी को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं, जिनका पालन मुस्लिम समाज भी करता आ रहा है।