बिहार चुनाव से पहले लालू यादव का धमाका


  • राष्ट्रीय जनता दल ने तीन विधायकों को निष्कासित किया
  • महेश्वर, प्रेमा, और फराज को किया पार्टी से बाहर
  • तेजप्रताप यादव के श्वसुर पर कोई कार्रवाई नही

बिहार में निकट भविष्य में होने जा रहे चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनता दल में उठक पठक शुरु हो गयी है। लालू यादव की पार्टी ने अपने तीन निर्वाचित विधायकों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया है। ये तीन विधायक प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, और फराज फातमी हैं। इन पर आरोप है कि ये सभी पार्टी विरोधी गतिविधियों का संचालन कर रहे थे। तीनों विधायकों को 6 साल के लिये पार्टी से बाहर किया गया है।

वैशाली के पातेपुर से विधायक प्रेमा चौधरी

प्रेमा चौधरी राष्ट्रीय जनता दल की विधायक हैं, जो पार्टी के विरुद्ध गतिविधियों में लिप्त थी। इस साल उन्होंने सत्ताधारी दल जेडीयू के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा आयोजित मानव श्रंखला में भाग लिया था, जिसे उनके विद्रोह का संकेत माना गया।

मुजफ्फ्फरपुर के गायघाट के विधायक महेश्वर प्रसाद

महेश्वर प्रसाद गायघाट से चुनाव जीत कर विधायक बने थे, और महागठबंधन की सरकार के गिर जाने के बाद से ही अपनी पार्टी के लिये एक परेशानी बने हुए थे। लगातार नीतिश कुमार की प्रशंसा करने के कारण राष्ट्रीय जनता दल पशोपेश में था, जिसका अंत आज उन्होंने महेश्वर प्रसाद को पार्टी से निष्कासित कर किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के पुत्र फराज फातमी

केंद्र में पहले मंत्री रह चुके राष्ट्रीय जनता दल के नेता अशरफ फातमी के पुत्र फराज फातमी ने पिछले लोकसभा चुनाव में राजद को छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें लोकसभा का टिकट नही दिया गया था।

इन तीनों विधायकों को पार्टी से निकालने के बाद भी एक विद्रोही नेता ऐसे भी हैं जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई नही की गयी है। उनका नाम चंद्रिका राय है, जो लालू यादव के पुत्र तेज प्रताप के श्वसुर भी हैं। परिवार से जुड़ा होने के कारण लालू यादव इस समय चंद्रिका राय पर कार्रवाई करने से झिझक रहे हैं, ताकि उन्हें चुनावों में किसी प्रकार का कोई नुकसान ना उठाना पड़ जाये।

इस प्रकार की उठापठक सत्ताधारी जेडीयू में भी दिखाई दे रही है, जहां प्रदेशाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पार्टी के मंत्री श्याम रजक को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बहुत दिन से यह चर्चा थी कि श्याम रजक पार्टी को छोड़ने वाले हैं, लेकिन पार्टी ने पहले पहल करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। पार्टी ने उनकी पारंपरिक सीट से टिकट काटने की जानकारी मिल रही थी, इससे स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हुए श्याम रजक पार्टी छोड़ना चाह रहे थे, लेकिन जेडीयू ने इसके पहले ही उन्हें मंत्री पद से बाहर करने के साथ ही पार्टी से भी बाहर कर दिया।


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