- स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के उपयोग की स्वीकृति
- कोविशील्ड, व कोवैक्सीन को सरकार की मंजूरी
- भारत में निःशुल्क लगाया जायेगा टीका
- कांग्रेस ने स्वीकृति पर उठाये प्रश्न
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते आज देश के लिए अच्छा समाचार मिला है। भारत में कोरोना के लिए वैक्सीन बनाए जाने के प्रयासों के बाद आज सरकार सिरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग को स्वीकृति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे लेकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की है।
कांग्रेस ने उठाये सवाल
समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव के बाद आज कांग्रेस के नेताओं ने स्वीकृति को लेकर प्रश्न उठाए हैं। तिरुअनंतपुरम से सांसद एवं कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने कहा है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है ऐसे में इसकी वैक्सीन को समय से पहले स्वीकृति देना खतरनाक है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को इस पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा तब तक भारत को एस्ट्रोजन की वैक्सीन का उपयोग करना चाहिए।
कांग्रेस के एक अन्य नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को स्वीकृति देने पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक पहले दर्जे की कंपनी है लेकिन यह आश्चर्यजनक बात है की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल से जुड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रोटोकॉल वैक्सीन के लिए संशोधित किए जा रहे हैं। उन्होंने भी स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से इस बारे में स्पष्टीकरण की मांग की।
इस बीच विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भारत में इमरजेंसी उपयोग के लिए स्वीकृति दी है।
वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित
इन दो वैक्सीन के साथ ही जाइडर्स कैडिला की वैक्सीन ज़ाइकोवडी को तीसरे चरण के ट्रायल के लिए भी स्वीकृति दी गई। डीसीजीआई के निदेशक ने कहा कि यदि वैक्सीन से संबंधित सुरक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ थोड़ा भी संदेह होता, तो हम ऐसी किसी भी चीज को स्वीकृति नहीं देते। यह वैक्सीन 110% सुरक्षित है। हल्का बुखार एलर्जी दर्द जैसे कुछ दुष्प्रभाव प्रत्येक वैक्सीन में होते हैं। वैक्सीन के दुष्प्रभाव से लोगों के नपुंसक हो जाने का दावा पूरी तरह से बकवास है।
भारत में बनी यह वैक्सीन सरकार के देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। इन दोनों वैक्सीन से भारतीय उत्पादों की वैश्विक स्तर पर पहुंच तथा मांग बढने की संभावना है। गुणवत्ता तथा प्रभाव में पूरी तरह खरा उतरने के साथ ही यह अन्य वैक्सीन की तुलना में ह अधिक सस्ती और प्रभावी हैं, साथ ही इनका भंडारण करना भी अधिक आसान है।