सीबीआई के पूर्व चीफ के घर के बाहर 4 संदिग्ध पकड़े गये।


सीबीआई में अधिकारियों के बीच गुटबाजी और कार्य के ऊपर छिड़े संघर्ष में आज एक और अजीब घटना घटी है। गुरुवार सुबह सरकार द्वारा छुट्टी पर भेजे गये पूर्व चीज आलोक वर्मा के घर के बाहर 4 संदिग्ध व्यक्ति पकड़े गये हैं, इनके पास से आईबी के आई कार्ड मिले हैं किंतु यह स्पष्ट नही है कि यह आईबी के ही अधिकारी हैं या फिर कोई और।
यह चार व्यक्ति देर रात से आलोक वर्मा के घर के बाहर चक्कर लगा रहे थे, जिसके कारण सुरक्षा में लगे अधिकारियों को शंका हुई, पूछताछ करने के लिये जब इनको पकड़ा गया तो यह भागने लगे। सुरक्षाकर्मियों ने इनको हिरासत में लिया है तथा पूछताछ जारी है।

सीबीआई में अधिकारियों के बीच चले आरोप – प्रत्यारोप तथा एक दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालने से संस्थान की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है तथा सरकार को इसे नियंत्रित करने के लिये उच्चस्तर के अधिकारी आलोक वर्मा तथा राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा गया है। सीबीआई में अनेको अधिकारियों का स्थानांतरण भी हुआ है तथा नागेश्वर राव को नया अंतरिम डॉयरेक्टर बनाया गया है।

मांस कारोबारी मोईन कुरैशी की जांच के चलते अब तक सीबीआई के 3 डॉयरेक्टर विवादों में फंसे हैं, सबसे पहले पूर्व सीबीआई डॉयरेक्टर रंजीत सिन्हा, जो कि 15 महीने में 70 बार कुरैशी से मिले, मोईन कुरैशी रंजीत सिन्हा से मिलने उनके घर पर आता जाता रहता था और आरोपी के साथ मिलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा को फटकार भी लगाई थी। रंजीत सिन्हा 2014 से 2016 तक सीबीआई के चीफ रहे थे।
कुरैशी तथा सीबीआई के एक अन्य डॉयरेक्टर एपी सिंह के बीच भी मेसेज आने जाने का पता चला था। सिंह 2010 से 2012 तक कार्यरत थे, और पिछले वर्ष सीबीआई ने सिंह के विरुद्ध भी केस किया ताकि उनके और मोईन कुरैशी के बीच संबंधो की जांच की जा सके।

इस बार राकेश अस्थाना ने सीबीआई डॉयरेक्टर आलोक वर्मा पर आरोप लगाया कि मोईन कुरैशी को राहत पहुंचाने के लिये वर्मा ने हैदराबाद के सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत ली, इसके प्रत्यारोप में आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना पर आरोप लगाया कि उन्होंने सना से 3 करोड़ की रिश्वत ली है।

एक दूसरे पर आरोप लगाने के बाद अभी तक यह स्पष्ट नही हुआ कि यह आरोप प्रत्यारोप का परिणाम क्या होगा, लेकिन सरकार द्वारा पानी सिर से ऊपर जाने पर आलोक वर्मा तथा राकेश अस्थाना दोनो को छुट्टी पर भेज दिया गया तथा नागेश्वर राव को अंतरिम डॉयरेक्टर बनाकर उन्हें सीबीआई का दायित्व सौंपा गया। नागेश्वर राव ने आते ही सीबीआई में गुटबाजी को लगाम लगाने के प्रयासों में कई अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है।

आलोक वर्मा अपने कार्यकाल में पुलिस की कार्यप्रणाली के सुधार पर अनेकों कार्य किये हैं, वहीं राकेश अस्थाना ने अपने कार्यकाल में चारा घोटाला, गोधरा कांड, और आसाराम बापू जैसे केसों को सुलझाया है। इस सब लड़ाई झगड़ों और आरोपों के बीच सीबीआई की प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा है, सरकार द्वारा हस्तक्षेप के बाद सीबीआई अपने अधिकारियों के बीच की अहम की लड़ाई को कैसे रोकेगी, यह अभी भविष्य के गर्भ मे है।


Share this post:

Related Posts